The best Side of Shodashi

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एकान्ते योगिवृन्दैः प्रशमितकरणैः क्षुत्पिपासाविमुक्तैः

The Mahavidya Shodashi Mantra supports emotional balance, selling healing from previous traumas and internal peace. By chanting this mantra, devotees obtain launch from destructive emotions, building a balanced and resilient mindset that can help them confront everyday living’s worries gracefully.

Goddess is commonly depicted as sitting down within the petals of lotus that may be kept within the horizontal entire body of Lord Shiva.

वन्दे तामहमक्षय्यां क्षकाराक्षररूपिणीम् ।

क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥

The Mahavidya Shodashi Mantra is additionally a powerful Resource for the people trying to get harmony in individual interactions, Innovative inspiration, and direction in spiritual pursuits. Normal chanting fosters psychological healing, improves instinct, and will help devotees accessibility larger wisdom.

षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की website दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या

ఓం శ్రీం హ్రీం క్లీం ఐం సౌ: ఓం హ్రీం శ్రీం క ఎ ఐ ల హ్రీం హ స క హ ల హ్రీం స క ల హ్రీం సౌ: ఐం క్లీం హ్రీం శ్రీం 

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥

कामेश्यादिभिराज्ञयैव ललिता-देव्याः समुद्भासितं

श्रौतस्मार्तक्रियाणामविकलफलदा भालनेत्रस्य दाराः ।

The reverence for Tripura Sundari transcends mere adoration, embodying the collective aspirations for spiritual expansion and the attainment of worldly pleasures and comforts.

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥

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